ह्यूमन-गवर्मेन्ट, ईश्वरी-गवर्मेन्ट दोनों की प्रकृति-क्षमता अलग अलग है,दोनों को मिला नहीं सकते।
( संयुक्त-राज्य, संयुक्त अरब-अमीरात, जर्मनी के पाठको को धन्यवाद )पूरा पढ़िये
धर्मगुरुओं के गलत आचरण पर सरलता से प्रतिबन्ध लगाना चाहते हैं।
तब उपरोक्त कानून का आइना दिखा दो।
ध्यान दें नागरिको ने वर्षो से सदियों से न्यायालय व सरकार को अपनी परेशानी से अवगत किया है। न्यायालय व सरकार भी प्रयास करती रही एक उपाय की खोज करती रही जनता हित में उन्हें अपनाती रही है, वर्तमान में नागरिक होने के नाते न्यायालय व सरकार को एक आइडिया एक उपाय दे दिया अब न्यायालय व सरकार की बारी है।
नागरिक पक्ष ने अपना कर्तब्य पूरा किया।
यह कानून कितनी उपयोगी होगी
इसे इस लाइन से समझें
धर्मप्रचारक उपदेशक धर्मगुरु असत्य कथनों को स्थापित करने का प्रयास नहीं करेंगे
जब कोई भी अत्याचारी धर्म-प्रचारक धर्म-गुरु भारत की ओर देखेगा इस कानून को देखेगा वह स्वयं आत्म-चिन्तन करने लगेगा और अपने भीतर मौजूद कुरीति को देख कर इस कानून की प्रबलता को देखकर चुप होकर बैठ जायेगा। यह कानून ईश्वर भगवान् परमात्मा अल्लाह यहोवा देवी शिव विष्णु सृजन कर्ता के पक्ष की धर्मग्रन्थ के दुरूपयोग पर प्रतिबन्ध है।
नागरिक को समस्या असत्य धर्मग्रन्थ से असत्य कथनों से है। सही धर्मग्रन्थ के दुरूपयोग से है। धर्मग्रन्थ के सही उपयोग से समस्या नहीं है। यह कानून असत्य धर्मग्रन्थ पर लागु है। सही धर्मग्रंथों पर लागु नहीं है मनुष्यों व इंसानों पर लागू है।
सृजनकर्ता के पक्ष में खडे लोगों के द्वारा 28/10/2021 धरती के मनुष्य व इन्सान तक केवल सही जानकारी पहुंचेगी। १४/११/2021
1 -धर्म-गुरु ,धर्म-प्रचारक, धर्म-उपदेशक पुजारी ,धार्मिक नेता अध्यात्मिक पक्ष का प्रतिनिधि कभी झूठ नहीं बोलेंगे। हमेशा सत्य कहेंगे असत्य कथन द्वारा सृजनकर्ता के मान सम्मान को हानि नहीं पहुँचायेंगे।( 3 वर्ष कैद होगी। )
१.२ - स्वस्थ सामाजिक वातावरण में जिनके आचरण श्रेष्ठ नहीं हैं वे किसी मंच पर समस्त संसार सृजनकर्ता की सत्ता स्थापित करने की बात नहीं करेंगे विश्व सृजक पालक की सत्ता विस्तार की बात नहीं करेंगे। ( पहले आचरण सुधारें परिश्रम की खाएं सदा सत्य कथन कहिये फिर सत्ता स्थापना की बात कहेंगे )
2 -किसी जीव की हत्या नहीं करेंगे, कभी माँस का सेवन नहीं करेंगे। ( 3 वर्ष कैद होगी। ) जिन इलाकों में भोजन का विकल्प नहीं है वे माँस का सेवन कर सकते हैं
3 -प्रथम इनकी पत्नी नहीं होगी दूसरा इनकी एक पत्नी होगी परायी स्त्री का सेवन नहीं करेंगे , भोग-विलासी साधनों से दूर रहेंगे। (मेरा तर्क सारे संसार वाला आकाशगंगा वाला माँस और औरत की ब्यवस्था नहीं करेंगे सौरमंडल पालन पोषण कर्ता के सम्बन्ध में चर्चा कर लीजिए )
4 -अध्यात्मिक ब्यक्ति धर्मगुरु उपदेशक प्रचारक अनुयायी संचालक संरक्षक अपनी मेहनत की खाएंगे इन्हें दान-उपहार चंदा सम्पत्ति का उपयोग अधिकार नहीं होगा। इन्हें दान उपहार चंदा की धनराशि सरकारी खजाना में जमा करना होगा।
वजह बिना मेहनत के आकाशगंगाओं का संसार का निर्माण नहीं हुआ सृजनकर्ता द्वारा आज भी परिश्रम किया जाता है , इसलिए ऊंची आवाज में अथवा छुपछुपा कर 10/12/2021 उपदेश करने वाले समाज के सम्पर्क में हमेशा रहने वाले भक्त पुजारी बंदा मुफ्त दान उपहार चंदा से प्राप्त वस्तु का उपयोग नहीं करेंगे।इनके द्वारा अपने कर्म से यह सत्यापित नहीं किया जायेगा सृजनकर्ता के उपासक परिश्रम करने में असमर्थ हो जाते हैं 28/10/2021 संसोधन( यह नियम ऊँची आवाज में बात करने वालों पर, धर्म ग्रन्थ की बातों को तोड़ मरोड़ कर मति-भ्रम ब्याख्या करने वालों पर लागू होगा) इस सौर मंडल भूमण्डल में उपलब्ध तत्व से दृश्य जीवित वस्तु सृजनकर्ता पालक पोषण कर्ता के वे भक्त उपासक जिनका मस्तिष्क ज्ञान के प्रभाव से मानसिक दृष्टि से परिश्रम करने में असमर्थ हो जाएँ उनको दान-उपहार सम्पत्ति का उपयोग अधिकार होगा (लेकिन शर्तों के साथ )।
5 -कभी छल-कपट धोखा बेईमानी मतिभ्रम जैसे कार्य नहीं करेंगे।(3 वर्ष कैद होगी।) राष्ट्र और धरती के इन्सान व मनुष्य तक पहुचने वाले धर्मगुरु धर्म उपदेशक का आचरण सही होना चाहिए।
6 -अध्यात्मिक ब्यक्ति बिना वैज्ञानिक साक्ष्य के छुप छुप कर अथवा सार्वजानिक धर्म का प्रचार नहीं करेंगे धर्मग्रन्थ के शब्दों में वाक्य में कोई भी परिवर्तन सुधार नहीं करेंगे।
7 -किसी ब्यक्ति अथवा समूह समुदाय की हत्या की बात नहीं करेंगे। (3 वर्ष कैद होगी।)
आपके द्वारा यह सत्यापित नहीं किया जायेगा सत्य की स्थापना हेतु हत्या एक मात्र उपाय है शर्त है आपके साथ एक निश्चित सहन शक्ति से ज्यादा शरारत ज्यादती मजाक नहीं करे आर्थिक 10/12/2021 शारीरिक व मानसिक दबाव नहीं बनाये। १४/११/२०२१
8 - धर्म ग्रन्थ की बातों को तोड़ मरोड़ कर मति-भ्रम ब्याख्या नहीं करेंगे। सृजनकर्ता पक्ष के धर्मग्रन्थ में कोई कथन ना जोडा जायेगा ना हटाया जायेगा(3 वर्ष कैद होगी।) आपके द्वारा बताया गया धर्म किस पक्ष द्वारा निर्धारित धर्म है। (मनुष्य इंसान या आकाशीय दूत अवतार द्वारा बतायें )
9 -अध्यात्मिक ब्यक्ति देश में बोलने की, अधिकार की आजादी का दुरूपयोग नहीं करेंगे।
10 - अध्यात्मिक ब्यक्ति देश में आध्यात्मिक शासन की स्थापना नहीं करेंगे। तथ्य ईश्वरीय शक्ति कमजोर नहीं है।
उन्हें अपनी अध्यात्मिक सत्ता स्थापित करने हेतु अध्यात्मिक पोशाक पहने मनुष्यों की आवश्यकता नहीं है धरती पर मनुष्यों की सरकार न्यायालय है यह ईश्वर की सरकार न्यायालय नहीं है अतः इनकी शक्ति का उपयोग अध्यात्मिक ब्यक्ति धर्म-अध्यात्म की स्थापना हेतु नहीं करेंगे
11 - आध्यात्मिक ब्यक्ति बाहुबल अथवा भीड़ के साथ शांति भंग नहीं करेंगे लूटपाट नहीं करेंगे दूसरा बाहू बल प्रयोग द्वारा सरकार अथवा न्यायालय से कोई भी अध्यात्मिक 10/12/2021 बात नहीं मनवाएंगे आपके द्वारा प्रत्यक्ष वैज्ञानिक १४/११/2021 साक्ष्य प्रस्तुत करके सर्वदृष्टि सर्वथा उचित बात मनवाई जाएगी।
12 -किसी समुदाय अथवा ब्यक्ति को अपनी सेवा कार्य के लिए विवश नहीं कर सकते। (3 वर्ष कैद होगी।)
13 - समस्त संसारी व् आकाशगंगा शासक का भक्त पुजारी संसारी सौरमंडल के ईश्वरी शासक के भक्तों पर अत्याचार नहीं करेंगे। केवल प्रत्यक्ष वैज्ञानिक साक्ष्य सहीत ज्ञान उपदेश द्वारा अज्ञानता का नाश करेंगे।
14 -धर्मगुरु प्रचारक जिस नियम-कानून को मानने के लिए कहते हैं उस नियम-कानून का पालन सर्वप्रथम स्वयं करेंगे , आम-जनता द्वारा नियम पालन बाद में किया जायेगा।
15 -जितनी बड़ी संसार बनाने वाले की बात कहेंगे उतना ज्यादा परिश्रम करने वाला उतना अधिक आद्यात्मिक नियमों का पालन करने वाला होगा। उन्हें प्रत्यक्ष बाह्य परिणाम श्रेष्ठ देना होगा 10/12/2021 ( यह नियम ऊँची आवाज में बात करने वालों पर,धर्म ग्रन्थ की बातों को तोड़ मरोड़ कर मति-भ्रम ब्याख्या करने वालों पर लागू होगा।)
16 -किसी असत्य-नाम को अजन्मा व सृजनकर्ता 10/12/2021 के स्थान पर स्थापित नहीं कर सकते, सम्पूर्ण सृष्टि व जगत पालन-पोषण कर्ता के नाम को बदल नहीं सकते। (3 वर्ष कैद होगी।)
17 -सृस्टि विकाश के इतिहास में परिवर्तन नहीं कर सकते। मानव इतिहास में घटित घटनाओं में संवाद में परिवर्तन नहीं कर सकते। (3 वर्ष कैद होगी।)
18 -आध्यात्मिक ब्यक्ति बाहुबल शस्त्र-बल धन-लोभ व् अन्य अनुचित प्रकार से धर्म परिवर्तन नहीं करेंगे, विवश ब्यक्ति को धर्म-संस्कृति परिवर्तन हेतु विवश नहीं करेंगे। धर्म विकृति आध्यात्मिक कुरीति को दूर करने हेतु वैज्ञानिक ( प्रत्यक्ष-दर्शी साक्ष्य पारदर्शी-परिणाम-दर्शी साक्ष्य ) साक्ष्य का प्रयोग करेंगे।
19 -आध्यात्मिक ब्यक्ति धार्मिक नेता द्वारा राष्ट्र अथवा ब्यक्ति से बलपूर्वक आध्यात्मिक विषय मनवाने के लिए राष्ट्र अथवा ब्यक्ति हेतु अपने परिश्रम द्वारा सभी भौतिक-अभौतिक सुविधाओं की ब्यवस्था करनी होगी। इसके उपरांत भी उस राष्ट्र और जीव की आत्मा उसके शरीर उसके अधीन व परिश्रम की 10/12/2021 संपत्ति पर हमेशा हेतु 10/12/2021 अधिकार नहीं होगा। काऱण आध्यात्मिक-ब्यक्ति किसी ब्यक्ति जीव-जन्तु-वनस्पति अथवा राष्ट्र संपत्ति का सृजनकर्ता नहीं है।
20 -उपरोक्त नियम के विरुद्ध कार्य करने हेतु आध्यात्मिक ब्यक्ति अपने धर्मग्रन्थ का वास्ता नहीं दे सकता।
21 - किसी भी धर्म के ब्यक्ति के शिकायत पर ऐसे धर्म-गुरु ,धर्म-प्रचारक पुजारी उपासक , अध्यात्मिक ब्यक्तियों के आचरण की, संपत्ति की, कथन की, जाँच न्यायपालिका अथवा पुलिस करवा सकती है ये लोग अपना कोई भी भेद छुपा नहीं सकते , चाहे पति पत्नी रिश्ता ही हो।
तथ्य है अध्यात्मिक ब्यक्ति सृजनकर्ता की पक्ष में भेद कहने वाले हैं इसलिए इनकी सभी जानकारी सार्वजानिक होगी। इनके सम्बन्ध में शिकायत कर्ता की धर्म-जाति कुछ भी हो सकता है।
22-किसी भी अध्यात्मिक प्रदर्शन रैली में जिनका आचरण श्रेष्ठ नहीं है वे लोग भाग नहीं लेंगे।
23- अध्यात्मिक ब्यक्तियों द्वारा यह सत्यापित नहीं किया जायेगा सृजनकर्ता की शक्तियाँ कमजोर है।
समस्त संसार सृजनकर्ता की सत्ता विस्तार पर कोई प्रतिबन्ध नहीं बस आप शिकायत नहीं करना आपने हमें बताया नहीं दूसरा किसी समूह द्वारा भ्रष्ट विधि-विधान रीति से किसी एक धर्म विस्तार (गुण-धर्म-धारण ) पर रोक लगेगी ) मुझे यह नहीं कहना है की मैं इस धर्म विस्तार पर रोक लगाऊंगा मुझे यह कहना है की जो असत्य भ्रष्ट कथन परम्परा है उस पर रोक लगना चाहिए।
उसकी आराधना सीधे नहीं की जा सकती उत्तर एक मां बच्चे को जन्म देकर लाड-प्यार करती है बच्चा सीधे माँ से वाद संवाद करता है वह शून्य को जीवित किया वह भी सीधे संवाद कर सकते हैं आप किसी एक शक्ति की आराधना हेतु समुह को विवश नहीं कर सकते जैसे की गाँव का जमींदार की।
इस कानून में दो प्रकार की सजा होगी। जिस धर्म समुदाय की वजह से भारत-राष्ट्र में अशाँति होगी। उसे 40 माह अन्य को 36 माह सजा होगी।
दूसरा पाकिस्तान में जब तक यह कानून लागू नहीं होगा; तब तक मुस्लिम समुदाय को 40 माह की सजा होती रहेगी।
यह कानून उन महिलाओं पर भी लागु होगा, जो महिलाए धर्मगुरू , धर्म-प्रचारक, धर्मगुरू समर्थक राजनेता के आसपास रहती हैं।
जब धर्मगुरू मेहनत की खाने लगेंगे तब आम नागरिक को एक संदेश जायेगा जब समस्त बनाने वाले को पूजने वाले मेहनत की खाते हैं तब हम संसार का धारण पोषण करने वाले को पूजने वाले बिना मेहनत फल प्राप्त नही कर सकते हमें भी मेहनत करना होगा।
वर्तमान में आध्यात्मिक अशांति दूर करने हेतु राष्ट्र में इस तरह के कानून की आवश्यकता है यह कानून सत्य-धर्म को पोषित करता है। यह कानून धार्मिक असत्य कथनों का बहिस्कार करता है ,यह कानून देश में मंदिर-मस्जिद गुरूद्वारा-चर्च जाते समय अध्यात्मिक विषय के समबन्ध में विश्वास बढाने वाला होगा। धर्मगुरू के प्रवचन-उपदेश पर विश्वास बढाएगा।
श्री योगी आदित्यनाथ और श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी से सभी नागरिक से उम्मीद है। राष्ट्र मे आध्यात्मिक अशांति दूर करने हेतु , भ्रष्ट धर्म-गुरु , ईश्वर के नामों का ब्यापारी, धर्मग्रन्थ का दुरूपयोग करने वाले की गलत मानसिकता बदलने हेतु सुझाए कानून का स्वागत करेंगे।
*- यह कानून आम नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा हेतु है। इसका किसी एक धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है यह कानून प्रत्येक धर्म के लोगो हेतु आवश्यक सुरक्षा उपाय है आवश्यक सामाजिक कानून है, इसे अपने-अपने धर्म के भ्रष्ट धर्मगुरुओं द्वारा निर्मित परेशानी से बचने हेतु अपनाना चाहिए।
*- ईसाई व् मुस्लिम ये न समझें इस कानून का उपयोग करके ईसाई-धर्म इस्लाम-धर्म फैला सकते हैं। ऐसा अनुभव अवश्य होता है किन्तु सत्य बहुतों की समझ से परे है
*- हिन्दू यह ना समझे इस कानून का उपयोग करके मनुवादी-राष्ट्र अथवा केवल हिन्दू-बहुगुण-वादी राष्ट्र की स्थापना कर सकते हैं। ऐसा अनुभव अवश्य होता है किन्तु सत्य आपकी समझ से परे है।
*- दलित शोषित ओबीसी यह न समझे उनके अधिकारों का हनन हेतु कानून है लेकिन संभावना प्रबल हो सकता है।
*- यह निर्भर करता है की आप अपने अधिकार के प्रति कितने सावधान हैं। यह कानून आपके पक्ष में आपके जीवन व् अधिकार की सुरक्षा हेतु और आपके अध्यात्मिक जीवन और सृष्टि के सत्य की सुरक्षा हेतु लिखा गया है।
*- यह कानून भटकती आत्माओं भ्रष्ट-अज्ञानी शक्तियों के ज्ञान का शोधन करता है।
*- यह कानून सिध्ध-अदृश्य शक्तियों के उत्पात से बचाने वाला कानून है आपके पास सही ज्ञान होगा, तब कार्य भी सही होगा। यह क्षेत्र कोई भी हो यदि ज्ञान सही नहीं है तब परिणाम भी सही नहीं होगा। इस कथन के सम्बन्ध में आपके पास अनुभव हैं चाहे वह शिक्षित हो अथवा अशिक्षित हो।
भ्रष्ट मुसलमानों ने क्या किया हिन्दू की हत्या की उनकी जमीन हड़प ली। अपने अधीन नागरिकों के अधिकारों का शोषण किया उनकी हत्या की महिलाओं साथ बलात्कार किया जबरदस्ती मुसलमान बनाया ऐसा क्यों हुआ इन्होने भी धर्मग्रन्थ के बूते मनमानी शासन किया भ्रष्ट मुसलमानों ने अच्छे इमान-परस्त मुसलमानों की हत्या किया।
दोनों ने खून बहाए दोनों ने अत्याचार किया।
अब न्यायालय के माध्यम से विज्ञान इन दोनों के साथ क्या ब्यवहार करने वाला है विज्ञान शस्त्र का प्रयोग नहीं करता है। विज्ञान साक्ष्यों का प्रयोग करता हैं। जब नागरिक न्यायायलय सरकार चाहेंगे तब विज्ञान अध्यात्मिक इतिहास, वैज्ञानिक साक्ष्य मानव मष्तिष्क विज्ञान सबके सामने रखेंगे।
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