Translate

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

न्यायालय में धर्मगुरू-धर्मउपदेशक से पूछे जाने वाले प्रश्न

नमस्ते दलितों हिन्दुओं मुस्लिमों ईसाईयों

श्रोता से प्राप्त दान-उपहार चंदा की धन राशी
सरकारी अध्यात्मिक खजाने में जमा करा दो भगवान परमात्मा देवी अल्लाह यहोवा का नाम लेकर धन-लोभी मुफ्त-मान-सम्मान लोभी ऐश्वर्य-लोभी असत्य-भाषी प्राणों का बलिदान करने वाले खून की नदियाँ बहाने वाले ऐसे अध्यात्मिक उपदेशक के सर चढ़ा बंदगी भक्ति का सारा भुत-प्रेत जिन्न-जिन्नात भाग जायेगा सत्यवादी सत्य-वक्ता अच्छे उपदेशक को सकून-शांति मिलेगी
पूरा पढ़िये

Jan/2021

भारत में ईश्वर के नामों का ब्यापार करने वालों पर, धर्म-ग्रंथों का दुरूपयोग करने वालों पर प्रतिबन्ध लगायेंगे, इनकी वजह से राष्ट्र में अशांत वातावरण निर्मित होता है जान-माल की मान-सम्मान की हानि होती है  संसार में असत्य ज्ञान के कारण मनुष्यों की आत्मायें  भटक जाती हैं इस सम्बन्ध में अनेको उदहारण देखे जा सकते हैं

तुम मेरे कौन हो मै तुम्हारा कौन हूँ
क्या लेकर आए थे क्या लेकर जाओगे
जो लिया यहीं से लिया जो दिया यहीं दिया
जो आज तुम्हारा है कल किसी और का होगा ।

प्रस्तावित कानून यहाँ देखें
धर्मगुरू के आचरण कैसे हों यहाँ देखें
न्यायालय में धर्मगुरू से पूछे जाने वाले प्रश्न


हम धर्मगुरू से कौन-कौन से प्रश्न पूछ सकते हैं
उपरोक्त प्रश्न किससे पुछे जा रहे हैं,
धर्मग्रंथ से अथवा धर्म-उपदेशक धर्म-प्रचारक से
न्यायालय में धर्म उपदेशक धर्म-प्रचारक धार्मिक-नेता से पूछ जाने वाले प्रश्न
0- क्या आप ये मानते हैँ आप जिनको बनाने वाला कहते हैं उन्होने ही समस्त संसार की चेतन-अचेतन तत्व की जीवित-निर्जीव प्रत्येक वस्तु की प्रत्येक गुणों की रचना की है।
01- इसके सत्यापन के सम्बन्ध में आपके पास कौन-कौन से साक्ष्य हैं। अथवा कौन-कौन से साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं।
02- आप जिनकी आराधना-साधना उपासना की बात कहते हैं उन्होंने किस जीवित अथवा निर्जीव जड़-प्रकृति अथवा चेतन-प्रकृति की रचना अथवा ब्यवस्था की है और किस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु रचना अथवा ब्यवस्था की है, आप इसके सत्यापन के सम्बन्ध में कौन-कौन से साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं।
1- क्या आप सारे संसार को बनाने वाले के भक्त पुजारी उपासक हैं।
2- क्या आप आकाशगंगा को बनाने वाले के भक्त पुजारी उपासक हैं।
3- क्या आप सौर-मंडल को बनाने वाले के भक्त पुजारी उपासक हैं।
4- क्या आप धर्मगुरू धर्म उपदेशक हैं अथवा प्रचारक अथवा धार्मिक नेता हैं।
5- आप किस धर्म का प्रचार प्रसार अथवा उपदेश करते हैं और किस इलाके में किस देश में।
6- क्या आप बहुत ऊँची आवाज में धर्म का प्रचार-प्रसार अथवा उपदेश करते हैं।
7- क्या आप बहुत अधिक लोगों को धर्म का उपदेश करते हैं। अथवा बहुत अधिक लोगों तक धर्म का प्रचार-प्रसार करते हैं
8- क्या आप अथवा आपके सहयोगी दान-उपहार की वस्तु ग्रहण करते हैं।
9- क्या आप हमेशा सत्य वचन कहते हैं। अथवा असत्य वचनों का प्रयोग करते हैँ।
10- क्या आप धर्म-ग्रन्थ के कथनों को कहते हैं अथवा धर्मग्रन्थ से बाहर के विषयों को धर्म के प्रचार-प्रसार अथवा उपदेश में शामिल करते हैं।
11- आप के द्वारा दिया गया उपदेश सत्य घटनाओं पर आधारित है। अथवा परिकल्पना या कोरी परिकल्पना या सैद्धाँतिक परिकल्पना पर आधारित होती है।
12- क्या आपके कथन सत्यापित किए जा सकते हैं।
13- क्या आप धर्मग्रन्थ के कथनों को सत्यापित करने में सक्षम हैं।
14- क्या आप अपने द्वारा कहे कथनों को सत्यापित कर सकते हैं। अथवा आपके दवारा साक्ष्य प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
15- क्या आप धर्म-शास्त्र का, विज्ञान-शास्त्र का और मानव-इतिहास का अध्धयन किया है अथवा करते हैं।
16- आपने शिक्षा कहाँ-कहाँ से प्राप्त किया है, किस प्रकार की किताब से शिक्षा प्राप्त किया, शिक्षा प्राप्ति की भाषा क्या थी।
17- क्या आप अपनी मेहनत की खाते हैं। अथवा दान-उपहार से प्राप्त धन का प्रयोग करते हैं।
18- आपकी चल और अचल सम्पत्ती कितनी है। क्या यह आपकी अपनी शारीरिक मेहनत की है या मानसिक मेहनत से कमाई गई समपत्ति है।
19- किस प्रकार का मेहनत अधिक करते हैं, शारीरिक अथवा मानसिक अथवा दोनों के सहयोग से मेहनत करते हैं। क्या उस परिश्रम से धन की प्राप्ति होती है
20- क्या आप माँस का सेवन करते हैं।
21- क्या आप मदिरा का सेवन करते हैं।
22- क्या आपकी केवल एक पत्नी है। अथवा किसी महिला से अथवा महिलाओं से शारीरिक सम्बन्ध है
23- क्या मुर्ती के पुजारी हैं अथवा निराकार के अथवा दोनों के पुजारी-उपासक हैं।
24- क्या आप ध्यान आरती मंत्रोचारण हवनकुण्ड विधि से पूजा उपासना करते हैं।
25- क्या आप बलि परम्परा का पालन करते हैं।
26- आप कितनी बार पुजा-उपासना करते हैं।
27- आपकी पुजा उपासना की रीति नियम विधि क्या है। उसकी लागत कितनी होती है। उस लागत की ब्यवस्था किसके द्वारा की जाती है
28- क्या आप किसी समुह-समुदाय की अथवा किसी ब्यक्ति की हत्या की बात कहते है।
29- क्या आप लोगों को अथवा गरीबों को दान-उपहार देते हैं।
30- क्या आप अथवा आपके सहयोगी धर्म-उपदेश के कारण प्राप्त धन-उपहार लेते हैं।
31- क्या आप राजनीतिक दल के सदस्यों से मेलजोल रखते हैं आप प्रसाशनिक कार्यों में दखल देते हैं आर्थिक और शारीरिक सहयोग करते हैं
ईश्वर का ब्यापार बंद करो कानून के अन्तर्गत पूछे जाने वाले प्रश्न

विश्व में दो समुदाय हैं मुफ्तवादी परिश्रमवादी

   देश और विश्व में आध्यात्मिक समस्या मुफ्तवादियों से है तीन और पच्चीस कानून मुफ्तावादियों पर प्रतिबन्ध है परिश्रम वादीयों पर प्रतिबन्ध नहीं है
   आध्यात्मिक परिश्रम वादीयों से समस्या तब होती है जब आध्यात्मिक परिश्रम वादीयों का समझ ज्ञान विकृत हो जाए धरती इतिहास की सही जानकारी न हो, जैसे आतंकवादी जेहादी कट्टरपंथी हथियारबंद मुस्लिम समुदाय धनलोभ दाता ईसाई समुदाय इसके उदहारण है
   उपरोक्त कानून से मुफ्तवादियों को परेशानी होगी जो अच्छे श्रेष्ठ क्रम के परिश्रम वादी आध्यात्मिक ब्यक्ति है उन्हें इन कानून के लागू से बहुत प्रसन्नता होगी वे श्रेष्ठ क्रम के परिश्रम वादी आध्यात्मिक ब्यक्ति धर्मगुरु धर्म प्रचारक हैं वे स्वयं शान्ति चाहते हैं नागरिकों में शान्ति चाहते हैं देश और विश्व में शान्ति चाहते हैं अपनी परिश्रम से खाने पर बल देते हैं
   परिश्रम वादी आध्यात्मिक ब्यक्ति धर्मगुरु धर्म प्रचारक को कानून से कोई परेशानी नहीं होगी वे अपनी परिश्रम की खायेंगे अथवा भिक्षा लेकर जीवनयापन करेंगे दान उपहार की धनराशी को नहीं छुएंगे
हम खून बहाते जायेंगे हर राह ऐश करते हम हैं श्रेष्ठ धर्मगुरु
जहाँ मुफ्त खाने नहीं मिलेगा टेटुआ दबायेंगे हम हैं श्रेष्ठ धर्मगुरु

उपरोक्त कानून 140 करोड़ नागरिक को चाहिए

हमें भ्रष्ट आध्यात्मिक धर्मगुरुओं धर्मप्रचारक असत्य इतिहास वक्ता मुफ्वादी से बचाने वाला कानून चाहिए
आप राष्ट्रपति महोदया सरकार भ्रष्ट दुष्ट मुफ्त्वादी आध्यात्म गुरुओं से बचाने वाला कानून उपलब्ध कराएँगे

   मायावती ने पाठ्यक्रम से मनुस्मृति को हटाने के डीयू के फैसले का स्वागत किया
   गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने घोषणा की कि एलएलबी पाठ्यक्रम में संस्कृत ग्रंथ 'मनुस्मृति' को शामिल करने का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है।
   बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा अपने विधि संकाय के पाठ्यक्रम में 'मनुस्मृति' को शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है। स्वाभाविक है और इस प्रस्ताव को रद्द करने का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम था।
   "भारतीय संविधान के सम्मान और प्रतिष्ठा तथा इसके समतावादी और कल्याणकारी उद्देश्यों के विरुद्ध जाने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मनुस्मृति पढ़ाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध स्वाभाविक है और इस प्रस्ताव को रद्द करने का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है।" उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा।
   बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शनिवार को 2 जुलाई को हाथरस में हुई भगदड़ के लिए भोले बाबा और अन्य लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, जिसमें 121 लोगों की जान चली गई।
   गरीबों, दलितों और शोषितों को संबोधित करते हुए, बसपा प्रमुख ने एक्स पर एक पोस्ट में उनसे भोले बाबा जैसे उपदेशकों के बहकावे में न आने का आग्रह किया।    व्हाट्सएप पर हमसे जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
   उन्होंने कहा, "देश के गरीबों, दलितों और शोषितों को अपनी गरीबी और अन्य सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए हाथरस के भोले बाबा जैसे कई बाबाओं के अंधविश्वासों और पाखंडों के बहकावे में आकर अपना दुख और दर्द नहीं बढ़ाना चाहिए।" एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट.

भारत सरकार ने मुस्लिम वफ्फबोर्ड समाप्त करने का निर्णय लिया सराहनीय कदम है मुस्लिम वफ्फबोर्ड भारत की संस्कृति परम्परा को मिटाने का प्रबल विचार खुनी विचार रखता है

किसका कहना है अल्लाह के शिवा किसी और की ईबादत करने वाला काफिर है। हिन्दूस्तानी एक काफिर मुल्क हैं। तुम उनका कत्ल कर दो। इस कथन की शुरुआत कब से हुई और क्यों शुरुआत की गयी
आम नागरिक का अध्यात्मिक गुरूओं से प्रश्न का सही उत्तर पुछने का अधिकार छिना नहीं जा सकता वर्तमान में धर्मगुरूओं द्वारा निर्मित स्थिति क्या है हम ब्राम्हण है सब प्रजा जनों को ब्राम्हणों का सम्मान करना होगा सब ब्राम्हणों का सम्मान करना चाहिए। हम ब्राम्हण सबसे उत्तम हैं। समस्त प्रजा ब्रम्हा की संतान हैं। शुद्र तीनों वर्ण ब्राम्हण क्षत्रिय वैश्य की सेवा करेंगे। ब्राम्हण देवता को पद से गिरा सकता है मनुष्य को श्रेष्ठ लोक प्रदान करा सकते हैं ब्राम्हण की सेवा करना उनका आशीर्वाद लेना चाहिए इससे मनुष्य का कल्याण होता है { थोड़ी सी शरारत वगैरा वगैरा वगैरा मेरा नाम है प्रेम प्रेम चोपड़ा लोग मुझे प्यार से प्रेम कहते है }
मुस्लिम कहते हैं हम उसकी ईबादत करते हैं जो समस्त संसार को बनाने वाला है उसके शिवा हम किसी और के आगे सर नहीं झुकाते ना झुका सकते है। तुम काफिरों को कत्ल कर दो हिन्दुस्तान एक काफिर मुल्क है। जब काफ़िर ख़त्म हो जायेंगे तब ???? इनका कहना है खुदा पाक के बन्दों की खिदमत करना एक अजीम इबादत :> मौलाना खालिद रशीद, प्रश्न धरती पर कौन-कौन खुदा-पाक के बन्दे हैं वर्तमान में उनकी संख्या कितनी है कौन-कौन खुदा-पाक के बन्दे की श्रेणी में आते हैं इनका उत्तर होता है ये तो वही जाने, प्रश्न वो कौन उत्तर होगा जो सारे जमीनों आसमानों का मालिक है अन्य समुदाय द्वारा पूछे ऐसे प्रश्न के सम्बन्ध में इनका अक्सर कहना होता है आप हमारे मजहब के बारे में ना बोले

प्रस्तावित कानून यहाँ देखें


ziro space first-live ziro space second-live ziro space therd-live ziro space forth-live ziro space [difrent mass of ziro live space]
first-god second god therd god of ziro behevior-live space

ईश्वर की शक्तियां कमजोर है धर्म-गुरुओं ने सत्यापित किया


     ईश्वर की शक्तियां कमजोर है इसलिए मनुष्यों की सहायता से शासन का संचालन करते हैं क्या यह सच है जिन शक्तियों ने धरती-सूरज चाँद तारे आकाश बनाये अरबों खरबों आकाशगंगा बनाये जीव-जंतु मनुष्य नर-नारी का पूरा शारीर बनाया पालन-पोषण तत्व से ज्ञान की हानि नहीं होती पेड़-पौधे बनाये देवता दानव बनाये भुत-प्रेत पिशाच यक्ष-गन्धर्व बनाये शिव शंकर ब्रम्हा विष्णु लक्ष्मी शक्ति सरस्वती इंद्रा देव सूर्य देव बनाये ऐसी शक्ति सम्पन्न ईश्वर एक कमजोर शक्ति है क्या इसीलिए देश में अध्यात्मिक शासन स्थापित करने की आवश्यकता होनी चाहिए जो अध्यात्मिक लिबाश धारण करें उन धर्म-गुरुओं की निर्देशों का पालन करना चाहिए अध्यात्मिक किताब की कानून लागु करना चाहिए जैसे शरिया कानून मनु-स्मृति कानून वेद-पुराण कानून बाइबिल कानून क्या ईश्वर पक्ष की सत्ता शासन सुधारने के लिए ब्यक्ति का अध्यात्मिक चोला पहनना आवश्यक है क्या प्रत्येक धर्म का उपासक का आराध्य सृजन-कर्ता जहाँ जहाँ जाता है उस स्थान पर विद्यमान होते हैं अथवा पहले से विद्यमान रहते हैं
     एक नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के द्वारा पांचवा सदी का मुद्दा राममंदिर हल किया ३७० धारा हल किया भीमराव अम्बेडकर जी के द्वारा शूद्रों ओबीसी को कानून बनवा कर ब्राम्हणों की दासत्व से मुक्ति दिलाई एक शी जिनपिंग द्वारा दुनियां में महामारी कोरोना लायी गयी एक वैज्ञानिक टंगस्टन माइकल फैराडे अलबर्ट आइन्स्टाइन कपरनिकस गैलिलियो द्वारा दुनिया में बड़ा बदलाव हुआ एक ट्रांसिस्टर डायोड चुम्बक ट्रांसफार्मर जनरेटर स्टीम इंजिन पेट्रोल-डीज़ल इंजिन एल.ई.डी मोबाईल टीवी कैमरा दुनिया की सोच समझ बदल दिया जालसाजों-बेईमानों का रहस्य बता दिया
     धरती पर पूर्ण इस्लामिक-धर्म शासन क्रिश्चियन-धर्म शासन हिन्दू-मनुवादी धर्म शासन स्थापित नहीं होगा भारत में हिन्दू-मनुवादी राष्ट्र अथवा इस्लामिक राष्ट्र स्थापित नहीं होगा दोनों धार्मिक कानून मानव हित में नहीं हैं इनके धर्मग्रन्थ में वर्णित कथनों की तस्वीर बना कर देख लो 1- रासायनिक तस्वीर 2- जैविक तस्वीर 3- मेटर क्रियेटर मेटर-हेकर मेटर-मैनेजमेंट हेकिंग मेटर-यूजर बिहेविअर 4- बैंकिग मनीट्रान्सफर [ नाम का पैसा ] मेहनत से जबर दस्ती दया भाव से विवश होकर 5- लाइव-बॉडी क्रियेटर लाइव -बॉडी यूजर 6- ह्युमन-लाइव बॉडी मेटर ट्रान्सफर मेटर से एनर्जी एनर्जी में मैसेज टारगेट
     जब-जब धरती पर देवताओं को घमंड चढ़ेगा तब-तब उनके राज का नाश करने वाला पैदा जरुर होगा अथवा पृथ्वी से जगाया जायेगा दो प्रकार के मार्ग हैं लक्ष्य भ्रष्ट शासन का नाश पूरा करना, हिन्दू धर्म-गुरु कहते हैं जब जब धरती पर अत्याचार बढेगा तब-तब भगवान अवतार लेंगे यह नहीं बताया जब-जब देवता को घमंड चढ़ेगा तब-तब उनके राज का नाश करने वाला पैदा होगा

Dûrgâ Mêshrâm
3 जुलाई 2020 ·
*सभी लड़कियां और महिलाएं विशेष ध्यान दें।*
   भारत में आज नारी 18 वर्ष की आयु के बाद ही बालिग़ अर्थात विवाह योग्य मानी जाती है।
      परंतु मशहूर अमेरिकन इतिहासकार कैथरीन मायो (Katherine Mayo) ने अपनी बहुचर्चित पुस्तक "मदर इंडिया" (जो 1927 में छपी थी) में स्पष्ट लिखा है कि भारत का रूढ़िवादी हिन्दू वर्ग नारी के लिए 12 वर्ष की विवाह/सहवास आयु पर ही अडिग था।
      1860 में तो यह आयु 10 वर्ष थी। इसके 30 साल बाद 1891में अंग्रेजी हकुमत ने काफी विरोध के बाद यह आयु 12 वर्ष कर दी। कट्टरपंथी हिन्दुओं ने 34 साल तक इसमें कोई परिवर्तन नहीं होने दिया।
      इसके बाद 1922 में तब की केंद्रीय विधान सभा में 13 वर्ष का बिल लाया गया। परंतु धर्म के ठेकेदारों के भारी विरोध के कारण वह बिल पास ही नहीं हुआ। 1924 में हरीसिंह गौड़ ने बिल पेश किया। वे सहवास की आयु 14 वर्ष चाहते थे। इस बिल का सबसे ज्यादा विरोध पंडित मदन मोहन मालवीय ने किया, जिसके लिए 'चाँद' पत्रिका ने उनपर लानत भेजी थी।
      अंत में सिलेक्ट कमेटी ने 13 वर्ष पर सहमति दी और इस तरह 34 वर्ष बाद 1925 में 13 वर्ष की सहवास आयु का बिल पास हुआ। 6 से 12 वर्ष की उम्र की बच्ची सेक्स का विरोध नहीं कर सकती थी उस स्थिति में तो और भी नहीं, जब उसके दिमाग में यह ठूस दिया जाता था कि पति ही उसका भगवान और मालिक है।
      जरा सोचिये! ऐसी बच्चियों के साथ सेक्स करने के बाद उनकी शारीरिक हालत क्या होती थी? इसका रोंगटे खड़े कर देने वाला वर्णन Katherine Mayo ने अपनी किताब "Mother India" में किया है कि किस तरह बच्चियों की जांघ की हड्डियां खिसक जाती थी, मांस लटक जाता था और कुछ तो अपाहिज तक हो जाती थीं। 6 और 7 वर्ष की पत्नियों में कई तो विवाह के तीन दिन बाद ही तड़प तड़प कर मर जाती थीं।
      स्त्रियों के लिए इतनी महान थी हमारी मनुवादी संस्कृति। अगर भारत में अंग्रेज नहीं आते तो भारतीय नारी कभी भी उस नारकीय जीवन से बाहर आ ही नहीं सकती थी। संविधान बनने से पहले स्त्रियों का कोई अधिकार नहीं था।
      मनुस्मृति के अनुसार बचपन में पिता के अंडर, जवानी में पति की दासी और बुढ़ापे मे बेटे की कृपा पर निर्भर रहती थी। बाबा साहब डॉ अंबेडकर ने संविधान मे इनको बराबरी का दर्जा दिया। संपत्ति का अधिकार, नौकरी में बराबरी का अधिकार, ये सब बाबा साहब की देन है
ये सन्देश उन महिलाओं के लिए, जो कहती है कि बाबा साहेब ने कुछ नहीं किया

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें