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गुरुवार, 30 जुलाई 2020

आत्मा-परमात्मा का रहस्य अजन्मा का रहस्य

10-02-2020

हे भगवान नमस्ते क्या-क्या करवाते हो
भगवान के सृजन-कर्ता नमस्ते

ॐ परमात्मा नमः
         मैंने आत्मा-परमात्मा का रहस्य को ध्यान करके कहा था लोगों को आत्मा परमात्मा का भेद बताऊंगा वह मेरी अज्ञानता थी। किन्तु उस समय लोगों का विचार विज्ञानं से प्रेरित था और उनसे मैं प्रेरित हुआ। आत्मा परमात्मा को मुसीबत पड़ने पर याद करते थे समस्या दूर हो जाने के बाद तर्क करना प्रारम्भ करते। पूछते कहाँ है परमात्मा ,कहाँ है आत्मा विज्ञानं आत्मा-परमात्मा को नहीं मानता। तब मैंने परमात्मा को ध्यान रखते हुए कहा था 
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हे परमात्मा मैं आत्मा परमात्मा का भेद बताऊंगा लोग ज्ञान प्राप्त करके अच्छा आचरण करने लगेंगे इस तरह विश्व में शांति आएगी। मुझे यह ज्ञान नहीं था इस कार्य में कितने रहस्यों का सामना करना होगा। मेरे इस कार्य का विरोध दुनियां में विद्यमान अदृश्य शक्तियां भी करेंगी स्वयं मेरा शरीर मुझे मिली बुध्धि भी कही विरोध कर सकती है। 

             अतः आत्मा-परमात्मा का रहस्य कहने का यह एक प्रयास है। 

     विशाल अन्तरिक्ष जीवित है लेकिन सम्पूर्ण शून्य अन्तरिक्ष जीवित नहीं है
     प्रत्येक शुक्ष्म कण शून्य अन्तरिक्ष में जीवित रहना जानती है यह सूक्षम कण अपने द्रब्यमान आकार को जानती है अपने आसपास विद्यमान शून्य और जीवित दोनों को पहचानती है ये सूक्ष्म कण अधिक कानों का निर्माण करना जानती है ये सुक्ष्म कण एक से अधिक सूक्ष्म कण बनकर एक होकर विभिन्न कार्य कर सकती है ये कण आत्मा-परमात्मा ईश्वर भगवान अल्लाह यहोवा का जैसी शक्तियों की रचना कर सकती है
     विशाल-जीवित अन्तरिक्ष के लिए यह जानना जरुरी है किस स्थान पर केवल शून्य है किस स्थान पर सबसे सूक्ष्म जीवित कण है और शून्य को जीवित बनाने में सक्षम जीवित कण है विशाल-जीवित अन्तरिक्ष के लिए यह जानना जरुरी है उनका विस्तार कहाँ तक है अन्तरिक्ष का प्रत्येक जीवित कण अथवा कण किसी एक सूक्ष्म जीवित कण के द्वारा निर्मित नहीं है
     प्रत्येक जीवित कण निर्माण कैसे हुआ इस सम्बन्ध में अमीबा-सिद्धान्त का अध्ययन कर सकते हैं
     सभी आकार संसार सृजन कर्ता स्वयं के द्वारा निर्मित कणों से आकार संसार का निर्माण नहीं किया है
     अनेको आकार सृजन कर्ता शून्य को जीवित करना नहीं जानते ये शक्तियाँ विभिन्न द्रव्यमान के शुक्ष्म कणों को योग शक्ति का उपयोग करके एक से अधिक तत्वों को जोड़कर जीवित अथवा जड़ आकार की रचना करते है इनमे से कई शुक्ष्म जीवित कण विरोध कर सकते हैं अथवा सृजित होने के बाद विरोध कर सकते है जिस तरह वैज्ञानिक विभिन्न द्रव्यमान के कणों के गुणों का उपयोग करके आकार वस्तु की रचना करते है अनेकों दुस्परिणाम मिलते हैं
     यहाँ एक से अधिक शुक्ष्म कणों का निर्माण करके बलवान हुई शक्तिया अन्य शुक्ष्म कणों का भक्क्ष्ण करके और बलवान हुई हैं इसकी पूरी सम्भावना है सूक्ष्म कण जो जानती है मै परिश्रम करूँ अथवा उनके द्वारा परिश्रम किया जाय आकार सुख अवश्य प्राप्त होगा किन्तु राचन उन कणों की शान्ति पाने के अनुरूप नहीं हुई तब वह सूक्ष्म हमेशा दुखी रहेगा

एक जीवित शरीर की रचना हेतु आत्मा का होना जरुरी नहीं।

     एक जीवित शरीर की रचना हेतु आत्मा का होना जरुरी नहीं।" आत्मा "जिसमें स्मृति है इसमें किसी शरीरी जीवन की कर्मों का लेखा-जोखा होता है। अंतरिक्ष में शांति ब्यवस्था बनाने हेतु आत्मा-परमात्मा का होना आवश्यक है। इसी तरह परमात्माओं के परमात्मा का होना आवश्यक है। इन सबका धारण पोषण करने वाला होना आवश्यक है।
            हमारी कल्पना और सत्य दो अलग तथ्य है , विश्व को धारण पोषण करना संसार का धारण पोषण करना समस्त संसार का धारण पोषण करना, दृश्य व अदृश्य आकार व निराकार आकृति शरीरी संसार को पालक पोषक को ब्यवथापिका को धारण पोषण करना।
        मेरा कथन एक सैद्धान्तिक कथन है। ब्यवहारिक कथन के लिए आकाशगंगा व भौतिक- रासायनिक क्रियाओं का अध्ययन करके देख लो।

उदाहरण-:

          गद्दाफी, सद्दामहूसैन, शी जिनपिंग परवेज मुशर्रफ एक भ्रस्ट विचारधारा का शासक है। विश्व के अन्य शासक को इस शासक की शक्ति को काम करने हेतु आगे आना पड़ा ,इसी तरह स्पेस में भी होना संभव है।अगर विश्व स्तर पर राष्ट्रों का एक संगठन होता, जिनका काम होता विश्व के भ्रष्ट शासक की पहचान करना और आवश्यक कार्यवाही करना, तब यह संगठन किसी राष्ट्र के भ्रष्ट शासक ( जैसेकि चीन के शासक शी जिनपिंग ) को पद से बर्खास्त कर देगा । इस तरह वर्तमान हड़पनीति ,युद्ध समस्या का निवारण हो जाता।
मरो और मारते जाओ यह कथन , जियो और जीने दो यह कथन दोनों में कौन जीयेगा।
         संसार में दो तरह की भावनाएं है सत्य पथगामी और असत्य पथगामी एक सत्य की राह पर ले जाता है दूसरा असत्य की राह पर ले जाता है।

संसार में दो तरह की इतिहास है

     संसार में दो तरह की इतिहास है सत्य पथगामी और असत्य पथगामी एक इतिहास सत्य घटनाओं की इतिहास को सुरक्षित रखता है जिस पर कोई विवाद नहीं होता दूसरा इतिहास असत्य क्रिया कर्म की ब्याख्या करता है यह विवाद और अशांति का वातावरण निर्मित करता है।
         आप किसे महत्व देंगे भावना को महत्व देंगे भावना अथवा सत्य इतिहास को आप से कहा जाए अपनी भावना को सही रखिये इतिहास को ध्यान मत दीजिये ,
        हम चाहे किसी भी नाम अथवा जिसकी चाहें उसकी मूर्ति अथवा प्रतीक रखे उसे संसार या समस्त संसार बनाने वाला मानना होगा हम ज्ञान दाता को धन संसाधन सम्मान देना होगा , हमारे कहाँ का अनुशरण करना होगा।

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